दिल्ली की हवा को प्रदूषित क्या कर रहा है? जैसे-जैसे सर्दी आ रही है, दिल्ली में प्रदूषण के स्रोतों पर नज़र रखने वाला सिस्टम फिर से चालू हो गया है।
दिल्ली की हवा को प्रदूषित क्या कर रहा है? जैसे-जैसे सर्दी आ रही है, दिल्ली में प्रदूषण के स्रोतों पर नज़र रखने वाला सिस्टम फिर से चालू हो गया है।
दिल्ली की हवा को प्रदूषित क्या कर रहा है?
जैसे -जैसे सर्दियों का मौसम करीब आता है, दिल्ली का वायु प्रदूषण फिर से गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। ठंडी हवा और स्थिर मौसम धुंध और स्मॉग की समस्याओं को बढ़ाता है, जिसका लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। हृदय रोगों, फेफड़ों की समस्याओं और एलर्जी जैसी परेशानी आम हो जाती है। दिल्ली की हवा को प्रदूषित करने वाले प्रमुख स्रोतों में से पहला वाहन उत्सर्जन है, जो पेट्रोल वाहन से निकलने वाले लाखों डीजल और हानिकारक गैसों के कारण हर दिन बढ़ता है। इसके अलावा, स्टबल जलन, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से धूल और घरों में ठोस ईंधन भी प्रदूषण में योगदान करते हैं। सर्दियों में, हवा के स्थिर होने के कारण, ये प्रदूषक एक ही स्थान पर जमा हो जाते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता बिगड़ जाती है। जनता को सलाह दी जाती है कि वे मास्क पहनने और प्रदूषण से बचने के उपायों को अपनाएं।
1. वाहन उत्सर्जन (Vehicle Emissions)
हर दिन लाखों वाहन दिल्ली में सड़क पर चलते हैं, जो शहर की हवा को प्रदूषित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। पुराने डीजल और पेट्रोल इंजन नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स), कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) और पैराटिकल मैटर (पीएम 2) वाले वाहन।
2. ठोस ईंधन और निर्माण कार्य (Construction & Solid Fuel Burning)
सर्दियों में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में घरों को गर्म रखने के लिए लोग अक्सर लकड़ी, कोयला या अन्य ठोस ईंधन का उपयोग करते हैं। ये ईंधन जलने के दौरान धुआँ और छोटे कण (PM2.5 और PM10) उत्पन्न करते हैं, जो हवा की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, शहर में चल रहे निर्माण कार्य, सड़क निर्माण और धूल उड़ाने वाली गतिविधियां भी हवा में सूक्ष्म कणों की मात्रा बढ़ा देती हैं। ये परतिकुलेट कण न केवल सांस लेने में कठिनाई पैदा करते हैं बल्कि फेफड़ों और हृदय के लिए भी गंभीर खतरा बन जाते हैं। लंबे समय तक इनके संपर्क में आने से दमा, ब्रोंकाइटिस, दिल की बीमारियां और एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए सर्दियों में प्रदूषण से बचाव के लिए एयर प्यूरीफायर, मास्क का उपयोग और प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कम समय बिताना जरूरी है।
3. औद्योगिक प्रदूषण (Industrial Pollution)
4. पराली जलाना (Crop Residue Burning)
उत्तर भारत के राज्यों, विशेषकर पंजाब और हरियाणा, में खरीफ फसल कटने के बाद खेतों में पराली जलाने की परंपरा है। किसान इसे फसल अवशेष को साफ करने और नई फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए करते हैं। परंतु इस प्रक्रिया से निकलने वाला धुआँ और सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10) हवा के माध्यम से दिल्ली और आसपास के शहरों तक पहुँच जाते हैं। सर्दियों में हवा ठंडी और स्थिर होने के कारण यह प्रदूषण लंबे समय तक हवा में रहता है और शहर के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को तेजी से खराब कर देता है। पराली जलाने से न केवल धुंध और स्मॉग की समस्या बढ़ती है, बल्कि यह सांस लेने में कठिनाई, एलर्जी, अस्थमा और हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ाता है। इसलिए इस समस्या को रोकने के लिए सरकार और किसानों को मिलकर सतत उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
5. मौसम और स्थिर वायु (Weather & Stagnant Air)
सर्दियों में ठंडी हवा और कम धूप वायु को स्थिर कर देती है, जिससे प्रदूषण फैलने की जगह एक ही जगह जमा हो जाता है। इस प्राकृतिक प्रक्रिया को “इन्वर्शन” (Inversion) कहा जाता है। इन्वर्शन के दौरान ठंडी हवा नीचे और गर्म हवा ऊपर रहती है, जिससे प्रदूषक कण हवा में फंस जाते हैं और नीचे नहीं उतर पाते। इसका परिणाम यह होता है कि धुंध और स्मॉग का स्तर तेजी से बढ़ जाता है, और दृश्यता कम हो जाती है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में यह स्थिति और गंभीर हो जाती है, क्योंकि यहाँ पहले से ही वाहनों, औद्योगिक उत्सर्जन और पराली जलाने जैसे कई प्रदूषण स्रोत मौजूद हैं। इन्वर्शन के कारण हानिकारक कण लंबे समय तक हवा में रहते हैं, जिससे सांस की समस्याएं, अस्थमा, एलर्जी और हृदय संबंधी रोग बढ़ सकते हैं। इस समय सावधानी और प्रदूषण नियंत्रण बहुत जरूरी है।
दिल्लीवासियों के लिए सावधानियां
-
घर में हवा को शुद्ध रखें: एयर प्यूरीफायर और नम कपड़े का इस्तेमाल।
-
बाहर निकलते समय मास्क पहनें: खासकर PM2.5 फिल्टर वाले मास्क।
-
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें: वाहन उत्सर्जन कम करने के लिए।
-
पराली जलाने और खुले में जलने वाली गतिविधियों से बचें।
-
सेहत पर नजर रखें: हृदय या फेफड़ों की समस्या वाले लोग ज्यादा सावधान रहें।
निष्कर्ष:
दिल्ली की सर्दियों की हवा विभिन्न प्रदूषण स्रोतों का मिश्रण है। शहर में वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक गतिविधियां, पराली जलाना और निर्माण कार्यों से धूल मिलकर वायु को अत्यधिक प्रदूषित करते हैं। सर्दियों में ठंडी और स्थिर हवा के कारण ये प्रदूषक लंबे समय तक हवा में रहते हैं, जिससे धुंध और स्मॉग की समस्या और बढ़ जाती है। इस स्थिति में स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा, हृदय रोग और एलर्जी। इसलिए इस मौसम में सुरक्षा और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। व्यक्तिगत उपाय जैसे मास्क पहनना, एयर प्यूरीफायर का उपयोग, घर में ठोस ईंधन जलाने से बचना और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करना मददगार हैं। साथ ही, सामूहिक प्रयास जैसे औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण और पराली जलाने पर रोक भी दिल्ली की हवा को साफ करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

Meaningful information
ReplyDelete